Pages

Saturday 18 July 2015

KAILASH MANSAROVAR YATRA - कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व

कैलाश मानसरोवर यात्रा
ओम नमः शिवाय
 




मुझे बहुत ही ख़ुशी है कि मैं अपना ब्लॉग कैलाश मानसरोवर यात्रा से शुरू कर रहा हूँ।  धर्मयात्रा में मैं  आपको दर्शन करा रहा हैं कैलाश मानसरोवर के। मानसरोवर वही पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश  पर्वत   पर शिव-शंभु का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहाँ शिव-शंभु विराजते हैं। 

कैलाश पर्वत, 22,028 फीट ऊँचा एक पत्थर का पिरामिड, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, शिव-शंभु की आराधना करने, हजारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफी बढ़ जाती है।


मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।

यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के सभी तीर्थ स्थानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। तिब्बतियन धर्मवालिम्बी  इस पर्बत को Kangri Rinpoche; ('Precious Snow Mountain') कहते हैं.  कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है।

वही जैन धर्म में इसे सुमेरु पर्बत कहते हैं. जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ने भी यहीं निर्वाण लिया। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहाँ ध्यान किया था।




मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। प्राचीनकाल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान से जुड़े विभिन्न मत और लोककथाएँ केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती हैं, जो है सभी धर्मों की एकता। 

ऐसा माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं। 


पश्चिम तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर 55 मील की परिधि में फैली हुई है। गहरी नीली पर दूधिया प्रकाश वाली जड़ी-बूटियों से युक्त जल से लबालब यह झील अनुपम पावनता और प्राकृतिक सौंदर्य की बेजोड़ मिसाल है। यह धार्मिक आस्थाओं का ऐसा तीर्थ है, जो पारलौकिक सद्गति का प्रतीक है। पौराणिक संदर्भ में महाशिव भगवान् की यह क्रीड़ा-भूमि है।

यद्यपि भौगोलिक दृष्टि से यह अब चीन में स्थित है लेकिन यह पवित्र स्थली हिंदुओं, बौद्धों, जैनों तथा तिब्बती लामाओं के लिए श्रद्धा-केंद्र रही है। हिन्दुओ के लिए यह देवताओं का सिंहासन और भगवान शिव का निवास स्थल है तो बौद्धों के लिए अति विशाल प्राकृतिक मंडल। वैसे दोनों धर्मों के लिए यह स्थल तांत्रिक शक्तियों का अक्षय भंडार है।


मानसरोवर झील की उत्पत्ति ब्रह्मा के मस्तिष्क से मानी जाती है। रामायण में लिखा है- हिमालय के समान दूसरा पर्वत नहीं है क्योंकि इसमें कैलाश और मानसरोवर जैसे पवित्र स्थल हैं। जिस प्रकार प्रभात के सूर्य की किरणों से ओस सूख जाती है उसी प्रकार हिमालय को देखने भर से मनुष्य के सारे पाप मिट जाते हैं।

22,028 फुट ऊंचा पिरामिड के आकार का कैलाश पर्वत अपने अभिनव सौंदर्य के साथ झील में ऐसे प्रतिबिम्बित होता है जैसे झील इसे आंचल में समा लेने को आतुर हो। सिन्धु, सतलुज, ब्रह्मपुत्र तथा करनाली चार-चार नदियों का उद्गम स्थल कैलाश पर्वत वंदनीय है। हिन्दुओं का विश्वास है कि पावन नदी गंगा स्वर्गलोक से यहीं गिरती है तथा उपरोक्त चार नदियों में
विभाजित हो जाती है तथा पृथ्वी के चार चौथाई भागों को जलप्लावित करती है।


कैलाश मानसरोवर को शिव-पार्वती का घर माना जाता है. सदियों से देवता, दानव, योगी, मुनि और सिद्ध महात्मा यहां तपस्या करते आए हैं।  प्राचीन ग्रंथों के अनुसार हिमालय जैसा कोई दूसरा पर्वत नहीं है क्योंकि यहां भगवान शिव का निवास है और मानसरोवर भी यहीं स्थित है।  हर वर्ष मई-जून महीने में भारत सरकार के सौजन्य से सैकड़ों तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं। 




अगले भाग में जारी ....... 



6 comments:

  1. यात्रा ब्लॉग की शुरुआत भोले नाथ के सर्वोच्च स्थल से की है। भोले नाथ का आशीर्वाद आप पर बना रहे।

    ReplyDelete
  2. जय भोले नाथ

    ReplyDelete
  3. आज फिर दूसरी बार ये यात्रा विवरण पढ़ रहा हु आ आनंद ही आनंद है

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete
  5. Jai Bhole Baba Ki, OM NAMAH SHIVAY.

    ReplyDelete